ये हैं रिश्ते
तुम्हारी
खुशी में हमारी खुशी है,
कहावत
है ये हकीकत नही है ।
तुम
टूटो या बिखरो हमारे लिए,
हमें
तो करवट भी बदलनी नही है ।
तुमने
निभाया फर्ज तुम्हारा तो क्या,
उसे
कभी जुबाँ पर लाना नही है ।
हमारे
फलों पर हक सबका था लेकिन,
आज
टूटी ये शाखें किसी की नही हैं ।
अपनी
जरूरत लिए हर रिश्ता खडा था,
आज
हम सीखें मन मारना सबकी नसीहत यही है ।